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Jayantee Khare

Abstract

5.0  

Jayantee Khare

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जब मिले संग तुम्हारा

जब मिले संग तुम्हारा

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साथ चल हमकदम

मिट चलें रंजोगम,

सर झुकायेगा ज़हां

जब मिले संग तुम्हारा।


तिरा हाथ जब मिले

खिज़ा में दिल खिले,

धूप में हो एक शज़र

या ठंडी बारिश का फुहारा।


लफ़्ज़ तुम नज़्म हम 

गीत हम बज़्म तुम,

डूबते दिल को मिले

तूफ़ान में किनारा।


एक मैं एक तुम 

जीत लें खेल सारा,

साथ मिल जायें हम

एक और एक ग्यारह!


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