जब लगता है प्रेम का रोग
जब लगता है प्रेम का रोग
होता है जग और अधिक सुंदर,
हमें जब लगता है प्रेम का रोग।
हर मुश्किल हल हो ही जाती है,
होता है जब आपस में सहयोग।
हम आए हैं इस जग में,
विशिष्ट लक्ष्यों को लेकर।
प्रभु ने भेजा है हम सबको,
अद्वितीय शक्ति देकर।
जिन्हें सानिध्य मिले अपना,
प्रमुदित हों वे सारे ही लोग।
होता है जग और अधिक सुंदर,
हमें जब लगता है प्रेम का रोग।
हर मुश्किल हल हो ही जाती है,
होता है जब आपस में सहयोग।
इस जग में अकेलापन,
एक बड़ी मुसीबत है।
मिलता है सत्संग जिन्हें,
सचमुच खुश किस्मत हैं।
व्यवहार वही दें हम,
जो धन्य खुद को ही समझें लोग।
होता है जग और अधिक सुंदर,
हमें जब लगता है प्रेम का रोग।
हर मुश्किल हल हो ही जाती है,
होता है जब आपस में सहयोग।
जब एक से एक मिलें,
अक्सर दो होते हैं।
त्याग मेल समर्पण हो,
ग्यारह के सम होते हैं।
खुशियां बांटें जीते जी,
गमन पर अश्क बहाएं लोग।
होता है जग और अधिक सुंदर,
हमें जब लगता है प्रेम का रोग।
हर मुश्किल हल हो ही जाती है,
होता है जब आपस में सहयोग।