जब कोई कली फूल बन जाती है
जब कोई कली फूल बन जाती है
जब दर्द की इंतहा हो जाती है
दर्द का एहसास खत्म हो जाता है
ख़ुशी और गम का फ़र्क़ मिट जाता है
आँसुओं की पहचान खो जाती है
कब दिन ढलता है
कब रात हो जाती है
नदी को सागर से मिलने की
ललक खो जाती है
आईने में भी दिखाई देने लगे
अक्स जब किसी का
याद उसकी तड़प बन जाती है
तिनका -तिनका जोड़कर चिड़िया
जब एक घर बनाती है
पाकर अपनों का संग
कोई सपना सजाती है
तो हर बाधा उसके आगे
छोटी हो जाती है
दुनिया उसके लिए
और भी ख़ूबसूरत हो जाती है
जिसकी ख्वाहिश
हकीकत बन जाती है
चाँदनी रात की
चाँदनी में जाती है
ख़फा हो कोई अपना तो
ये दुनिया बेरंग हो जाती है
प्रसन्नता बिखेर देती है चहुँ ओर
जब कोई कली फूल बन जाती है।।

