जातिवाद जहर
जातिवाद जहर
जातिवाद का इतना ज़्यादा जहर घुला हुआ है,
नसों में
आजादी अमृत महोत्सव रो पड़ा है,जालोर के सुराणा में
एक मासूम बच्चे ने,पानी क्या पिया,एक सवर्ण मटकी से
उसके शिक्षक ने जान से मार दिया,वक्त के दो लम्हों में
मटकी भी रो पड़ी,देखकर इंसानों के जातिवाद धर्म को
तुमसे तो मैं ही अच्छी,प्यास बुझाती सबकी सम धर्म ने
में नही देखती राजपूत,ब्राह्मण,बनिया,दलित के कुल को
में तो देखती बस अपने प्यास बुझाने के सत्य धर्म को
वो कैसा शिक्षक,जो जातिवाद का सिखा रहा अक्षर है?
क्या उसकी मानसकिता भीतर से बिल्कुल निरक्षर है?
उसे सजा दो सरेआम,जिसने किया हिन्दू धर्म को बदनाम
हमारे प्रभु श्री राम ने,कभी जातिवाद का न लिया नाम
उन्होंने शबरी हो,केवट हो,सबको ही समझा एक समान
फिर क्यों फैला रहे जातिवाद,छुआछूत,भेदभाव तमाम
जबकि आजाद भारत का बना हुआ,एक समान संविधान
इस जातिवाद के जहर से,हिन्दू धर्म को आजाद करो
अन्यथा धर्मो रक्षति धर्म,बदल जायेगा,हिंदू धर्म नाम
सब जाति में,महापुरुषों के उद्भव के अनगिनित नाम
छोड़ दो,जातिवाद,छुआछूत की लाठी अपने हृदय से आम
एक ही जाति,धर्म,वो है,अपना हिंदुस्तान ओर हिंदुस्तान
यह बात सीखो फौजियो से,जिनके लिये सर्वोपरि हिंदुस्तान
न कोई धर्म,न कोई जाति राष्ट्र धर्म ही उनके लिये भगवान।