जाने क्या....?
जाने क्या....?
जाने क्या होने वाला है ?
मन बड़ा विचलित लग रहा है,
न जाने समाचार में आज क्या
सुनने को मिले .....
लड़की न हुई, मूली - गाजर हो गई। .
.पता नहीं, लड़कों को हो क्या गया है?
कोई भी अभिभावक ऐसी सीख देगा ,
ये तो मन नहीं मानता....
फिर भी यह समाज की ही देन है,
हमें समाज को सुधारना होगा ।
मगर ,कैसे .....?
अरे , जिस तरह हम अपनी लड़कियों
पर ध्यान रखते हैं, उसी तरह ...
यानी, अब अपने लड़कों पर
रखना होगा ध्यान,
उसकी संगति , उसके आने - जाने पर ,
देर रात घर से बाहर रहने पर ...
उसकी नौकरी की जाॅंच पड़ताल करनी चाहिए।
नौकरी और पैसे कमाने की धुन में
कुछ ग़लत कार्य तो नहीं कर रहे ?
दिन - रात उनकी खबर लेते रहने
की जरूरत है....
परवरिश जैसी हमने लड़कियों की दी है,
उसी तरह लड़कों को भी देनी होगी,.
ताकि वह संबंधों का मान रखे ,
माता - पिता के इज्जत का ख्याल रखें।
ये कार्य गाॅंव और शहर
दोनों जगह के अभिभावक को करना है।
और पड़ोसी को भी समाज सुधारने
में भागीदारी लेनी होगी।
बगल वाले के यहाॅं हिंसा
की शंका होते ही उस पर
शीघ्र कार्यवाही करने
की जरूरत है।
छोटी बच्चियों को भी इन सब
चीजों से उनकी मानसिकता के हिसाब
से अवगत कराना है ,
ताकि वे भी सतर्क रहें हमेशा.....
अन्त में यही सत्य है -- लड़के तथा
लड़कियों दोनों को अपने माता - पिता,
समाज तथा देश का सम्मान करना चाहिए,
जिससे देश में अपने -आप
सुधार होना निश्चित है......
और समाचार ....
समाचार तो माहौल को खुशनुमा
बनाएगा ही ...
हर गली - चौराहे पर उल्लास का
वातावरण तो होगा ही ।