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Rajit ram Ranjan

Fantasy

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Rajit ram Ranjan

Fantasy

इश्क़ का मंजर !

इश्क़ का मंजर !

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ये रोज -रोज 

का मिलना.... 

अब रास

नहीं आता.... 


इस दिल को 

बिन तेरे... 

कुछ भी 

नहीं भाता...... 


दर्द बैठा हैं 

इन पलकों पर.... 

खंजर लिए.... 

ये इश्क़ का 

मंजर.... 

अब समझ 

नहीं आता...... 


ये रोज -रोज 

का मिलना.... 

अब रास 

नहीं आता....


ये मोहब्बत कि 

पहेली, 

बेबूझ सी लगती 

हैं, 

रूबरू होके भी सच 

सच नहीं पाता..


जो दर्द हैं 

तड़प में, 

क्यूँ तड़प नहीं 

पता, 

ये रोज -रोज 

का मिलना.... 

अब रास 

नहीं आता....!


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