इश्क की राह...
इश्क की राह...
तू मुझे चाहे या न चाहे
मोहब्बत हो गई है
मुझसे...
मैं इजहार करूँ या न करूँ
बगावत हो गई है
खुद से.......
तू और मैं मिले या न मिले
कयामत हो गई है
इस जहाँ में...
जिससे बचते फिरते थे
जिसके नाम से भी डरते थे
वो हो गई है
तुझसे...
अजब सा अहसास है
लगता मुझे तू खास है
हर पल मेरे आस पास है
बस तेरा ही ख्याल है
आँखें भी तेरे लिए
तरसे...
न अब मोहब्बत की
कोई बात होगी
न खुदा से इश्क के लिए
फरियाद होगी
बस दिन ढलेगा तेरी बातों से
सुबह होगी तेरी यादों से
रिश्ता कुछ ऐसा बनायेंगे
जीवन भर निभायेंगे...
किससे ?
खुद से...