इश्क का नशा
इश्क का नशा

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तेरी तस्वीर को देखकर मुझे,
तेरी यादों का नशा चड़ जाता हैं,
जब मैं चांद को देखूं तब मुझे,
तेरा चेहरा नज़र आता हैं।
तेरे चेहरे की मुस्कुराहट मुझे,
रात भर ख्वाबों में भी सताती हैं,
तेरे बगैर ये चांदनी रात मुझे,
शोक का आलम लगती हैं।
तेरे इस्तकबाल के लिये मुझे,
सितारों की महफ़िल सजानी हैं,
तेरी इबादत करने लिये मुझे,
इश्क की ज्योत जलानी हैं।
क्यूँ तड़पाती हैं तू सनम मुझे,
अब मेरे इश्क का दर्द मिटाना हैं,
तुझसे रिश्ता जोड़कर "मुरली",
मेरी जिंदगी को महकाना हैं।