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Gumnaam Ladka

Classics

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Gumnaam Ladka

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इस रोज़ बनारस खण्डित है

इस रोज़ बनारस खण्डित है

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इस रोज़ बनारस खण्डित है..

 वो शहर जहां हर दिन

एक नया त्योहार होता है।

वो जिंदा शहर बनारस

आज ठहर सा गया है।


संपूर्ण शहर बनारस आज खण्डित है

प्रकृति के कोप से दण्डित है

धूप सा तेज

चांद सी ठंडक रखने वाले शहर पे

मानो ग्रहण लग गया हो


वो दीनानाथ की चाट,

पहलवान की लस्सी 

वो लक्ष्मी की चाय

और कचौड़ी वाली

गली सब बन्द है


काशी के कोतवाल काल

भैरव के द्वार पे आज

कोतवाल लगे है और 

महाश्मशान मणिकर्णिका को

जलती चिताए सुसज्जित करती थी

मानो इस रोज़ मणिकर्णिका ने

श्रृंगार करना छोड़ दिया हो


सबको सुकून देने वाला

शहर,आज शांत है

वो अस्सी की खुमारी,

दशाश्वमेध की रौनक

कहीं गुम सी है और 

शास्त्री संगीत, सुबह ए बनारस,

नौका विहार घाट संध्या ठहरा हुआ है


वो गंगा आरती का शंख नाद

हर चौराहे पे गूंजते घंटे घड़ियाल और

हर हर महादेव का नारा

सुने ज़माना हो गया है


इस रोज़ बनारस खण्डित है

वो शहर जहां कोई भूखा नहीं सोता है।

वो जिंदा शहर बनारस

आज ठहर सा गया है।


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