"इरादों की चमक"
"इरादों की चमक"
इरादों में गर होती है, न चमक
आदमी बनता है, गुलाब सुर्ख
हंसता हुआ रहता है, जो शख्स
हर समस्या का मिटाता है, वक्त
वो पाता है, अवश्य ही इज्जत
जिसकी सोच में है, सत्य-रक्त
इरादों में गर होती है, न चमक
आदमी का फिर चलता है, लक
मेहनत से जो रखता है, संबन्ध
कामयाबी का पाता है, दरख़्त
पर जिसकी बुरी सोच होती है,
उसे ख़ुदा देता है, सजा सख्त
इरादों में गर होती है, न चमक
आग में बनती है, राह उसी वक्त
जो लिखता, श्रम से नसीब खत
वो जिंदगी को बनाता है, जन्नत
इरादों में गर होती है, न चमक
फिर पत्थर पिघलता है, सख्त
आदमी पाता है, बहुत इज्जत
जब उसकी सोच होती है, उन्नत
अच्छी सोच, अच्छे इरादे बनाती,
अच्छे इरादों से ही बनते है, स्वर्ग
इरादों में गर होती है, न चमक
आदमी पहुँच जाता है, फ़लक