इंतजारी बुड्ढी आंखें
इंतजारी बुड्ढी आंखें


वह बाट जोहती इंतजारी आंखें ।
मां की प्यारी सुंदर सलोनी आंखें।
रहती है बड़े आदर सम्मान से एक बेटे के पास।
मगर फिर भी इंतजार करती दूसरे बेटे का आज।
वह निष्ठुर ना ले गया कभी उनको ना उसने अपने पास बुलाया।
आकर जो मिल जाता हमेशा अपना रोना रो जाता हमेशा।
मगर उसने ना देखी अपनी मां की इंतजारी आंखें।
क्या करें वह बेचारी बुड्ढी आंखें।
जो इंतजार करते करते ही ब्रह्म में विलीन हो गई वह आंखें।
बाद उसके भले पछताए रहे।
मगर जो समय निकल गया वह वापस
ना आए ।
इसीलिए दोस्तों यह किसी के साथ भी होना है।
आज उनका है कल हमारा भी हो सकता है।
इसीलिए याद रखो मां-बाप की बुड्ढी इंतजारी आंखों को ।
ना इतना इंतजार करवाओ।
कि बेकरारी में वह अपने ब्रह्म विलीन हो जाएं।
है यह सच्ची हकीकत यारों।
दुनिया में देखो चारों तरफ है यारों।
इसीलिए ना कोई बहाना बनाओ।
जिस तरह मां बाप ने तुमको पाला ।
उसी तरह तुम कभी उनको भी पालो।
ना उनको इतना इंतजार करवाओ कि फिर मिले तुम्हें वे पथरायी आंखें।