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Kavita Sharma

Abstract

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Kavita Sharma

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इंसानियत

इंसानियत

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इक इक ज़र्रे में बसता है ख़ुदा

हर कण में बसता है भगवान

बंदे बस तू दोनोें को इक ही हमेशा जान

धर्म भाषा ये सब छोटी बातें हैं 

इंसानियत को अलग अलग बांटे हैं

भिन्न भिन्न फूलों से मिल जाओ

इक सुंदर हार बन जाओ

देश को खुशहाल बनाओ

मानो चाहे खुदा को दिल स

या भगवान को मन में बसाओ

बस पहले नेक इंसान बन जाओ।


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