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Raashi Shah

Inspirational

5.0  

Raashi Shah

Inspirational

इंसानियत​

इंसानियत​

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ये दुनिया है कितनी खूबसूरत​,

जैसे खूबसूरती हो, इसकी ही फ़ितरत​।

प्राणियों, पक्षियों और पेड़ों का,

इसी ने तो पालन​-पोषण किया है

लेकिन मनुष्य भी कुछ कम नहीं,

उन्होंने भी, अपना अस्तित्व​,

स्थापित कर लिया है।

अपनी अद्भुत कला से,

न जाने कितने चमत्कार कर दिखाए,

सबको इतने भाए, कि आखिरकार​,

इनके लिए, युद्ध पर उतर आए।


इस भौतिक दुनिया से, इतना अधिक था,

जोड़ लिया लगाव​, कि मनुष्यों की,

इस दुनिया के प्रति, बदलने लगा स्वभाव​।

आगे बढ़ना चाहते थे, अनसुनी कर,

उन भोले-भाले, मासूम​, बेगुनाह लोगों की,

फ़रियाद​, मकसद तो केवल था,

कर देना सब कुछ, बरबाद​।

युद्ध से सब कुछ​, तोड़​-मरोड़ दिया था

लेकिन शायद था विस्मरण उन्हें,

कि मनुष्यों के बिना,

यह भौतिक दुनिया, कैसे जुड़े?


शायद भूल ग​ए थे वो,

कि कहते है किसी चीज़ को,

'इंसानियत'!

एक ऐसी चीज़​,

जो युद्ध की भावना में भी,

किसी निर्दोश​, मासूम पर​,

दया करना सिखाती है,

जो कठोर​, पत्थर जैसे दिल पर भी,

किसी बेक़सूर के,

इन्साफ़ का रंग चढ़ा दे,

एक मात्र ऐसा नाता, जिससे हम सब​,

बँधे हुए है।

एक ऐसी चीज़​,

जो आगे बढ़ना तो सिखाए

परंतु किसी को पीछे धकेल कर नहीं।


इसलिए मनुष्य भले ही आगे बढ़े,

किंतु अकेले, या किसी को नीचा

दिखा कर नहीं, सबको साथ लेकर​,

किसी को अकेला न छोड़े।

जिस इंसानियत को, उन लोगों ने,

नष्ट कर दिया, उसे हमें जगाना है,

इस दुनिया को, हमारे अस्तित्व हेतु,

एक बेहतर जगह बनाना है।



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