इंसान को इंसानियत का पाठ पढ़ाकर
इंसान को इंसानियत का पाठ पढ़ाकर
इंसान को इंसानियत
का पाठ पढ़ा कर...!
अपने माँ बाप को जलील करके,
तू यूँ अपने बेटे को आप ना किया कर...!!
है तेरी मंजिल तो इसी धरा पर,
आसमां संग उड़ कर,
तू यूँ खुद को नीचा ना कर...!
तकदीर को सवार देगा वो,
तू यूँ उस रास्ते के पत्थर
को बदनाम ना किया कर...!!
सुकून की नींद सो जाता
है वो तो रोज ही,
तू यूँ अपनी रातें उसकी
यादों में नीलाम ना कर...!
खामोशी के इस आलम में
खामोश ही रहने दे, मुझसे
तू यूँ सवाल ना किया कर...!!
वो तो एक बूढ़े बाप की बेटी है,
ना मोल कर ना तोल कर...!
कीमत और भी बढ़ जायेगी
तुम्हारी, लाना तुम उसे अपने
घर हाथ जोड़ कर..!!
तेरा सच बोलना ही
ईश्वर की आराधना है,
तू यूँ खुद से झूठ बोल कर
ईश्वर को बार बार आजमाया ना कर...