इनायत
इनायत
नज़ाकत है तेरी हर बात हर अंदाज में ऐसे
हृदय है जैसे कोमल फूल की पंखुड़ियों जैसे
शराफत की तू मूरत है दिल में प्रेम का बहार हो
इबादत है मेरी रब से खुशियों से भरा संसार हो
तुझे बिन सोचें इक पल मेरी सुबह ना शाम ढलती है,
रफ़ाक़त है तेरी मुझसे तो मेरी शाम सँवरती है
ताकत हो तुम प्रेम का हिम्मत भी मिलती तुमसे है
हर पल रहती लब पे दुआ मन्नत बस उस रब से है
इनायत है तेरी जो मुझ पे तो मेरी साँसे चलती है
तुझे सोचूँ तो मेरी धड़कन फिर मुझसे मिलती है।