इम्तिहान
इम्तिहान
कुसूर सारा शायद मेरी जबान का है,
जो लगता हर वक्त मुझे इम्तिहान सा है॥
इक इक बात किसी आईने सी साफ है,
ये साया मेरे ही जिस्म ओ जान का है।
मैं जोड़ रहा हूँ जो टूट गए थे दिल कभी,
गम लगना उन सभी में मेरी दुकान का है।
है घायल दिल का परिंदा मेरे मकान का,
लगा उसको जो तीर मेरी ही कमान का है।