इक दिन मेरे घर पानी नहीं आया
इक दिन मेरे घर पानी नहीं आया
पानी के मोल का मतलब तभी समझ में आया,
जब मेरे घर पानी नहीं था।
ढूंढ ढूंढ कर मैं थक गई,
पर पानी का एक भी बूंद नहीं मिला।
सभी जगह में यह चर्चा चली।
कि मुंबई में है स्वच्छ पानी की कमी।
गणेश चतुर्थी और दीवाली,
इन त्योहारों में, लोगों ने खराब कर दिया पानी।
नदी, झील, जलााशय, झरना,
कहीं भी स्वच्छ पानी नहीं था।
पानी में थे फूल, हार और पत्ते
कुछ थे धूल और मिट्टी से भरे।
वह दिन हर एक मनुष्य को याद आएगा,
जब वह पानी को बर्बाद करेगा।
खाना पवन सभी है जरूरी,
पर पानी के बिना तुम्हारे काया में रहेगी कुछ कमी।
चौपाई के लिए भी है पानी जरूरी,
कृपा करके उसकी मत करें कमी।
पेट दुनिया को हरा-भरा बनाते हैं,
पर पानी से ही तो पेड़ उगते हैं।
तब जाकर स्वच्छ पानी आया,
वह दुखी मुख खुशी से खिला।
सभी ने अपनी गलती मानी,
और उसके बाद,
आसमान से बरसा स्वच्छ पानी।।।