इजाज़त
इजाज़त
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बहने की इजाज़त नहीं है ,कुछ कहने की आदत नहीं है
हिफाज़त में रहना है हमेशा आंखों के पहरों में
अश्कों से निकलकर शिकायत की इजाज़त नहीं है।
तेरे बहने से दरक का डर है, कुछ पाया हुआ खोने का डर है
लफ्ज़ या अल्फ़ाज़ का रूप लेकर कुछ कहने की इजाज़त नहीं है।
तू दर्द का रूप है या दुख का स्वरूप है ,
तेरे किसी रूप को बरसने की इजाज़त नहीं है।
यूं अधूरी ही रख लेना कुछ ख्वाहिश,
हर एक को पूरी होने की इजाज़त नहीं है।
जो कभी मन करे कहने का कुछ यूं ही भाव छुपा लेना
हर एक को दिखाने की इजाज़त नहीं है।