ईश्वर,ख़ुदा और सिस्टम...
ईश्वर,ख़ुदा और सिस्टम...
मैं मंदिर,मस्जिद,चर्च और गुरूद्वारे में गया
हर बार मैंने उनके आगे सिर झुकाया
ईश्वर, ख़ुदा, येशु और वाहे गुरु से दरयाफ़्त की
तुम्हारे होते दुनिया में लोग दुःखी क्यों है?
ईश्वर हर बार बुत बन कर मुझे देखता रहा
ख़ुदा के वहाँ मै सूफ़ी सुनता रहा
गुरुद्वारे में शबद सुनता रहा
दुःख के कारण फिर बड़े मंदिर में गया
मेरे जैसे वहाँ और दुःखी लोग आ रहे थे
कुछ लोग वीआईपी लाइन में आ रहे थे
शायद मेरे दुःखों का वहाँ किसी को लेना देना नहीं था
लगा की पुजारी का ध्यान वीआईपी लाइन में लगा है
आम लोगों की लम्बी लाइन को देख कर लगा
जैसे ईश्वर भी वीआईपी लाइन में ध्यान दे रहे है
वीआईपी भक्तजनों के पास टाइम जो कम था
उनके चढ़ावें भी ज्यादा कीमती लग रहे थे
उन चढ़ावों के आगे मेरे चढ़ावे की क्या हैसियत?
लगा की ईश्वर बुत बन कर मुझे ताक रहे है
शायद उन्हे अंदाज़ा था की मेरे पास तो समय ही समय है
उन्होंने मुझे अपनी बारी आने पर दर्शन दिए
कभी कभी ईश्वर के मैनेजमेंट पर आश्चर्य होता है
वह चोरी, डकैती और क़त्ल को रोकते क्यों नहीं?
वह अपराधी को अपराध करने की सहूलियत क्यों देते है?
सज़ा बाद में क्यों देते है?
क़ातिल को दी गयी सज़ा से क्या कोई मरने वाला जिन्दा होता है क्या?
जो जान ली गयी थी क्या वह सज़ा से वापस आती है क्या?
आज तक तो नहीं आयी और ना आगे भी आएगी
हाँ, उसने सज़ा दी कुछ की रोजी रोटी छीनकर
और मारकाट करने वाले को बक्शीश दिया
कुछ को अगले इलेक्शन में पार्टी का टिकट दिया
जिनसे वह और ज़्यादा दबंग बन नेता बन सके
ये कैसा न्याय है? ये कैसा सिस्टम है?
जो दबंग को कमज़ोरों पर हावी होने का अधिकार देता है?
मुझे बचपन से सिखाया गया था
ईश्वर,ख़ुदा, ख्रीस्त और वाहे गुरु सब एक है
और मैं बड़े ही जतन से मानता भी रहा
फिर इंसानों को जाति,धर्मों और वर्गों में बाँटते हुए देखा
और उन्ही इंसानों को ईश्वर, ख़ुदा के नाम पर लड़ते देखा
मारकाट कर एक दूसरे के खून के प्यासे होते हुए देखा है
खूनखराबें और मारकाट के बाद मैं मंदिर,मस्जिद और गुरूद्वारे में गया
फिर से ईश्वर को बुत बन कर ख़ामोश खड़ा देखा
ख़ामोश खड़ा वह मेरा क्रंदन सुनता रहा
मेरी फरयाद सुनता रहा
हे ईश्वर, ख़ुदा और वाहे गुरु !!!!
सदियों से जिसका दुनिया गुणगान कर रही है
ये है तेरा न्याय? ये कैसा न्याय है?
जो कमज़ोरों को और कमज़ोर बनाता है और दबंगों को और ज्यादा दबंग?
दुनिया में बहुत सी चीजें बदलती जा रही है
तुम भी अपना सिस्टम को बदलने की कोशिश करो
जो इंसान को कम ज़ात ना समझ एक इंसान समझे
क्योंकि उस कम ज़ात के सीने में भी दिल धड़कता है......