ईमानदारी के पदचिन्ह ।
ईमानदारी के पदचिन्ह ।
नीयत से नियति बन जाएगी हमारी ।
फ़ितरत की ठेस से ही निकलेगी चिंगारी ।।
खुद में लगाव से ही बिगड़ी ये होशियारी ।
अब छोड कर ये लालच कर ले तू ईमानदारी ।।
अब छोड़ कर ये लालच कर ले तू ईमानदारी ।।
सम्मान के पथ पर हमेशा बढते रहना ।
ईमान के पैरों पर जतन कर अडिग रहना।।
ले जाएगा न कोई तेरी फ़ितरत का करम।
दूसरा निकल जएगा तुझसे आगे, है भरम ।।
दूसरा निकल जएगा तुझसे आगे, है भरम ।।
नेकी से सींचे हम अगर ये दुनिया सारी ।
मिल जएगा ऐ तुझको कीमत भी प्यारी ।।
लग जाएगा शिखर पर अपने नीयत का निशान ।
पड़ेगा उम्मीदों का सफर में ये इंसान ।।
नीयत से नियति बन जाएगी हमारी ।
अब छोड़ कर ये लालच कर ले तू ईमानदारी ।।