इधर भी उधर भी
इधर भी उधर भी
शोर बहुत है आजकल इधर भी उधर भी
संसद से सड़क तक इधर भी उधर भी।।
शब्द पद मर्यादा की हनन करने की होड़
हुंकारते हीन अहंकारी इधर भी उधर भी।।
झूठ परोसे जाते सचके नाम पर रोज़
बेवस सच्चाई खड़ी इधर भी उधर भी।।
हवन के नाम पे गबन हर जगह चलता
फिर भी होड़ हुजूम इधर भी उधर भी।।
कभी राम के नाम पे या फिर रहीम के
बरगलाए जाते लोग इधर भी उधर भी।।
भगवे या हरे से त्रस्त हैं आम जन यहाँ
काटते भी कटते भी इधर भी उधर भी।।
चादर चिता त्रिशूल पगड़ी टोपी में भेद
पागल प्रलाप अनर्गल इधर भी उधर भी।।
भाषण और आचरण में अंतर देख आमजन
किंकर्त्तव्यविमूढ़ खड़े इधर भी उधर भी।