इबादत
इबादत
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आलम ए तन्हाई में
उनके खुश्क अश्क।
नम आंखो से
काफी कुछ कह गये।
ख़ुद की बेकसुरी
की पैमाइश लिए l
ठीक हु कहकर
पैगाम-ए-सुकून दे गये।
वक़्त की पाबंदी से
बंधे l उनकी महफूज़गी
की इबादत लिए l हम
माबद को चल दिए।