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Masum Modasvi

Romance

3  

Masum Modasvi

Romance

हुजुर

हुजुर

1 min
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दरमीयां के फ़ासले भर दीजिये हुजुर,

अब तो हमारी जिंदगी तर कीजीये हुजुर।

तन्हा हमारी जीस्त भटकती रही भला,

सूने हमारे दिल पर नज़र कीजीये हुजुर।

तेरे करम के ज़ज्बों को पाकर खुशी मिले,

इतना करम ही हम पर मगर कीजीये हुजुर।

बढ़ती रही है तुमसे मोहब्बत की आरज़ू,

मेरी वफ़ा की कूछ तो कदर कीजीये हुजुर।

कोइ तो बात है जो तुम्हें रोकती रही,

ये सब भुला के साथ सफ़र कीजीये हुजुर।

देखा नहीं है तुमने मुझे लुत्फे निगाह से,

अब तो नज़र को थोड़ी इधर कीजीये हुजुर।

इतनी बढ़ी हैं हम पर ज़माने की रंजीशे,

दो पल हमारे साथ बसर कीजीये हुजुर।

कब तक तुम्हारी चाह में दर दर भटकना हो,

कुछ तो इनायत की नज़र कीजीये हुजुर।

मासूम हसरतों की जवां ताब बढ़ गइ,

आसां हमारी अब तो डगर कीजीये हुजुर।


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