हत्यारे
हत्यारे


हत्यारे
वे ही नहीं होते जो
किसी की जान ले लेते हैं
प्राचीन संपदाओं औऱ
महानायकों के आदर्शों को
चालाकी पूर्वक बदलने वाले
होते है
संस्कृति व परम्पराओं के
हत्यारे
आतंक किसी का धर्म नहीं होता
बेकसूर लोंगों का
खून बहाने वाले
इन आततायियों को
अपने स्वार्थों की खातिर
पनाह देने वाले भी हत्यारे ही हैं
मानवता के
इनके पैरों में अब
ठोंकी जा रही है कीलें
अफवाएं फैलाकर
भीड़ को उपद्रव के लिए उकसाने वाले
देश के बचपन को
षड्यंत्र पूर्वक
नशे की गिरफ्त में धकेलने वाले
नकली दवाओं के
जालिम कारोबारी
पर्यावरण को नुकसान
पहुंचने वाले
जीवित पैडों के हत्यारे ही तो है
ये देश को चाट रहे हैं दीमक की तरह
दुःख और उदासियों को
ढोते हुए
ये बिना हथियारों वाले
हत्यारे ही तो हैं
देश अब बाइसवीं सदी में
जाने को बेताब है
एक पाप और करना होगा
इन सब बिना हत्यारों वाले
मानवता के हत्यारों की
चुन चुन के करनी होगी हत्या
तभी मानवता गर्व
कर पाएगी
आने वाली पीढ़ी के लिए !