हर रोज़...
हर रोज़...
हर रोज़ जंग जारी है, दिल और दिमाग में
दिल कहे क्षमा ही परम धर्म, कितना भी बुरा करे कोई !
दिमाग़ कहता है निकालो उसे अपने अंदर से
और बेचारी मैं बीच में फंसी किस किस की सुनूं!
प्यार करने वाले जब गलती करें
तो दिल सही और दिमाग़ गलत
जब खुद गलती करती हूँ,
तब दिमाग़ सही दिल गलत!
ज़िन्दगी के राहों में मुश्किलें हज़ारों और
ख्वाहिशें बहुत सारी,
दिल और दिमाग़ दोनों ही सही होते हैं
वक़्त आने पर खुद ही समझ जाओगे !