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Mukesh Kumar Modi

Inspirational

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Mukesh Kumar Modi

Inspirational

हर इंसान की तक़दीर

हर इंसान की तक़दीर

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पापकर्मों के समापन की, करनी होगी शुरुआत

वरना पाते रहेंगे हम, दुख दर्द के अनेक आघात

झांको जरा अन्तर्मन में, प्रत्येक दिन का अतीत

कैसी कैसी मुश्किलों में, ये जीवन हुआ व्यतीत


कलह क्लेश से भरा रहता, जीवन का हर दृश्य

एक पल का सुकून भी रहता, नजरों से अदृश्य

मन की भावनाओं को, हर कोई चुभाता है कांटे

स्वार्थ के वश होकर, सब सम्बन्ध भी हमने बांटे


करता है हर कोई, कृत्रिम सुन्दरता से आकर्षित

मन में भरी कुटिलता हमें, कभी ना होती दर्शित

जाने कब से चला आ रहा, घाव लगाने का दौर

कब तक यूं होता रहेगा, ना करता कोई भी गौर


हर कोई एक दूजे को यदि, दुख ही देता जाएगा

स्वर्णिम सुखमय दुनिया का, सवेरा नहीं आएगा

अपने श्रेष्ठ कर्मों से औरों का, करना होगा भला

सबको सीखनी ही होगी, आंसू पौंछने की कला


पहले अपने मन को, करना होगा सम्पूर्ण शान्त

अपना जीवन बनाना होगा, एक आदर्श दृष्टान्त

स्वपरिवर्तन करना होगा, बल दृढ़ता का भरकर

मरजीवा बनना होगा, अशुद्ध संस्कार बदलकर


मिलकर जब हम तोड़ देंगे, बुराइयों की जंजीर

सुधर जाएगी दुनिया के, हर इंसान की तकदीर।


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