हक़
हक़
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कोमल हृदय पर
जो वार करती है
जादू की झप्पी सी
कुछ असरदार करती है
यह नज़र है आपकी
जो सौ सौ सवाल करती है
हुस्न क्या तुमको
मिल गया सादगी से भरा
आदत यह आपकी
इश्क़ को बेशुमार करती है
हम अजनबी होकर भी
जान गए आपको
एक आप है
जो जानकर भी
अनजान बनती है
रुख़्सती अपनी इस
जगह से हो तो
तेरे दिल से न
कभी जाएंगे हम
अदायगी यह हमारी
आपको बहुत परेशान करती है
जानते है हम भी
और पता है तुम्हें भी
मुहब्बत ही है एक जो
दोनों ओर हक़
बेहिसाब रखती है।