होने देना था..!
होने देना था..!
तुम अगर ख़्वाब थे,
मुझको भी सोते रहने देना था..!
तुम मधुशाला के जाम थे अक्सर,
होश मुझे खोते रहने देना था..!
तुम हीरे नायाब अगर थे,
मुझे तो मिट्टी बनने देना था..!
हर उस पल में जिसमें तुम थे,
मुझे भी एक पल होने देना था..!
वो बस एक वाकया होने देने था,
मोहब्बत को कुछ और पल पिघलने देना था..!
तुझे खुद को मुझमें यूँ मिलने देना था,
सागर में गिरती नदी को थोड़ी देर ठहरने देना था..!
तोड़ दिया क्यों फूल टहनी से,
खुशबू को और बिखरने देना था..!
क्यों जगा दिया उस हंसीं ख़्वाब से,
थोड़ी देर और मुझे सोने देना था..!