Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shailaja Bhattad

Abstract

4  

Shailaja Bhattad

Abstract

होली

होली

1 min
228



महक आए जिसमें माटी की

 गांव के रंग लगाना है

चंग, लूर की धूम मचा कर

 संस्कृति अपनी बचाना है

ढोल, मृदंग की थाप पर

 होली खूब निभाना है

चैति,चौति, फाग गाकर

 खुशियों का तड़का लगाना है  

 सबका होकर रहना

 सबको अपना कर जाना है

 बिसराए न बिसरे

 होली से मन रंग जाना है।

------------

संस्कृति बचाने

गांव-गांव धूम मचाने

 आई है होली

 रंगों से प्रेम बढ़ाने।

----------

रंगों से सरोबार रहना

भारत का मिजाज है

 जीवन की बगिया महकना

 मानो एजाज है

यूं ही हंसते खिलखिलाते रहना

 दुनिया कितनी खुशमिजाज है।

--------

प्रकृति अपने ही श्रृंगार से

 कर रही सबका श्रृंगार

होली की हुड़दंग में

 रंगों से श्रृंगार ।

---------

माना आए हैं बदलाव कई 

 सूट-बूट के रिवाज कई

 होली भूल न जाना

 चाहे मिल जाए डिग्रियाँ कई।

---------

सूखते भावों का रसपान है होली।

समरसता का मान है होली।

 चुटकी भर गुलाल की थाप से। 

 विकारों का शमन है होली।

-------


--------

अंग-अंग रंग रहे।

 रंगने लगे भरपूर।

 होली की हुड़दंग में।

  भय हो रहे दूर। 

--------

 कानों को सहला रहे।

 चैती, चौति खूब। 

 फगुआ के रंग में।

 होली गई डूब।

---------

उत्सव का रंग परवान चढ़ा।

 होली की जब बिगुल बजी।

 सूखते एहसास संभलने लगे।  

  उमंगों की जब तरंगे उठी ।

   परतों का मैल हटने लगा।

    चेहरे पर जब मुस्कान सजी।

-------------



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract