होली का पैगाम
होली का पैगाम
मिटा के रंजिशें रंग दो
दिलों के खाली पन्नों को
कि होली लाई है पैगाम
फिर मुहब्बत का
दिलाें में धूल अब भी हैं
जमे नफरत के कुछ शायद
करो बाते,मिटा दो सिलसिला
उनसे शिकायत का
मिलो उनसे जो तुमसे वास्ता
रखते हैं उल्फत की
उन्हें भी दो तवज्जो रिश्ता है
जिनसे अज़ीयत का।