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हरि शंकर गोयल

Romance Classics Inspirational

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हरि शंकर गोयल

Romance Classics Inspirational

होली गीत

होली गीत

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फागुन का महीना आ गया है।

मस्ती का आलम छा गया है।

उड़ै अबीर गुलाल ओ कान्हा उड़ै अबीर गुलाल

ओ कान्हाआज वृंंदावन में।

कारै ते कर दऊं लाल ओ कान्हा 

कारै ते कर दऊं लाल ओ कान्हा

आय रही है मेरे में।

हो उड़ै अबीर गुलाल ओ कान्हा आज वृंंदावन में।।


राह चलत तू ग्वालिन छेड़ै 2

माखन लूटै मटकी फोड़ै 2

ऐसो बिछावै जाल ओ कान्हा 

ऐसो बिछावै जाल ओ कान्हा

फंस जाय गुजरिया बन में।

उड़ै अबीर गुलाल ओ कान्हा आज वृंंदावन में>


फागुन को या महीनो आयो 2

होरी खेलूं मन ललचायो 2

खेंचूंगी तेरे गाल ओ कान्हा 2 

मस्ती छाई बदन में।

उड़ै अबीर गुलाल ओ कान्हा आज वृंंदावन में>


होठन पे मेरे आय रही गारी 2

लपट झपट में फट गई सारी 2

खुल गए सगरे बाल ओ कान्हा 2 

तेरे मेरे मिलन में।

उड़ै अबीर गुलाल ओ कान्हा आज वृंंदावन में।


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