हँसी
हँसी

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खुद पे हँसी आती है,
जब मैं तुम्हारी यादों में
खो जाती हूँ ...
वो तुम्हारे अजीबोगरीब
किस्से और चुप रहना,
कहीं रात की चाँदनी
टिमटिमाने लगती है
और तुम मुझमें खो जाते हो,
मैं फिर हँस देती हूँ तुम्हारा
नाराज़ चेहरा देखकर..
बिलकुल बच्चे बनते हो तभी।