हमसा कहाँ मिलेगा
हमसा कहाँ मिलेगा
इस दुनिया में तुम्हें हमसा कहाँ मिलेगा
जो तुम्हारी चाहत में इतनी रातें गिनेगा
इश्क़ की किताब में गुमनाम बनकर खुद
तुम्हारे नाम को ज़माने में शोहरा करेगा
बनकर हमसाया तेरी हिफाजत की खातिर
रूह का हर क़तरा अब अपना कुर्बान करेगा
जिसके आगे दुनिया की हर शय हार जाए
तेरी आँखें छूने वाला हर एक अश्क़ मिटेगा
सदियों तलक़ लिखी जाएगी दास्ताँ हमारी
कोई तुझको हीर और मुझको राँझा कहेगा।