हमदम
हमदम
कभी दिल में बसने वाले न जाने कब हमसे दूर हो गए
जो थे अपनेपन में डूबे वो न जाने कब पराये हो गए।
जो देते थे हमको हमदर्दी की दवा वो दर्द हमको दे गए।
जिनके बने थे कभी हम मरहम वही घाव हमको दे गए।
जो हमारी वफ़ा की खाते थे कसम वो अब बेवफा हो गए।
सजाया था अक्स जिसका सीने में वो रुख अपना बदल गए।
कहते थे सुख-दुःख में न छोड़ेंगे साथ तन्हा करके चले गए।
करते थे हम उनको आकर्षित कभी वही पंख कुतर कर
चले गए।
इस जीवन में हम-तुम न मिल पाए कभी अजीब से हालात
हो गए।
लेकिन तुम्हारी यादों से मेरे अश्क हमेशा के लिए
हमदम हो गए।