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Vimla Jain

Action Classics Inspirational

4.7  

Vimla Jain

Action Classics Inspirational

हमारी प्रिंसिपल मैडम की यादगार डांट

हमारी प्रिंसिपल मैडम की यादगार डांट

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आओ मैं एक बात सुनाऊं 
बात पुरानी है यह यारों 
50 साल पीछे आपको ले चलती हूं 
और मेरी प्रिंसिपल से मिला देती हूं
प्रिंसिपल थी हमारी बहुत ही अनुशासन प्रिय  उसूलों वाली 
खासियत थी।
 उनकी एक वे अपने विद्यार्थी के नाम भूल जाती थी
 मगर शक्ल और सरनेम याद रख लेती थी। 
मेरा भी पड़ गया एक बार उनसे पाला।
मेरी पढ़ाई हो चुकी थी पूरी मैं थी एकदम फ्री।
सोच जरा हॉस्टल के दोस्तों से मिलती हूं ।
थोड़ी मटरगश्ती कर आती हूं 
थोड़ा एन आर एससी में बैठेंगे। 
चाय समोसा  गपशप करेंगे।
फिर वापस अपने घर को जाएंगे।
क्योंकि दूसरे दिन मुझे ससुराल जाना था।
इसीलिए मैंने वह दिन चुना था।
क्यों कि वापस पता नहीं कब मिलना हो सोच में चल पड़ी हॉस्टल की ओर। 
अहो विचित्रम हॉस्टल के दरवाजे पर पहुंची पीछे से आकर प्रिंसिपल मैडम ने कड़क हाथ पकड़ लिए जोर से डांट लगाते हुए बोली,अरे  तुम यहां क्या कर रही हो।
कॉलेज टाइम में यहां क्यों मटरगश्ती कर रही हो।
कॉलेज क्यों बंक करा है।
और बहुत कुछ कहने लगी जैसे ही मैं पीछे मुड़ी मैडम तर्वे को देखा
 5 मिनट के लिए तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई।
प्रणाम किया मैंने कहा मैं विमला मेहता बीएससी की आपकी एक्स स्टूडेंट, 
बॉटनीकी सेक्रेटरी, आपसे अक्सर मेरा मिलना होता था 
मैं बोली
 हां हां मेहता तुम
मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी है।
एकदम से उन्होंने हाथ छोड़
मेरी तरफ उनकी नजर गई बोलती हैं ,अरे तुम्हारी शादी हो गई और तुमने मुझे नहीं बुलाया।
और फिर बड़े प्यार से बातें करने  लगी।
बहुत आशीर्वाद की बरसात उन्होंने मुझे एक पेन गिफ्ट में दिया। 
जो उनकी यादगार  के रूप में आज भी मेरे पास है।
यह यादगार रचना आज आपके साथ साझा कर मैं वापस मेरी प्रिंसिपल मैडम को 50 साल बाद याद कर लिया है ।
मन खुशी से भर गया है।
स्वरचित सत्य



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