Bhavna Thaker

Romance

3  

Bhavna Thaker

Romance

हम तुम और चाँद

हम तुम और चाँद

1 min
293


दरिया के साहिल पर ठंडी रेत की सरसराहट

तलवों को चूमती रवानी देती है 

मेरे तन में बहते लहू में तुम्हारी हथेलियों से

मेरे-रोम रोम को गर्माती उष्मा को


चाँदनी में नहाये मेरे तन पर तुम्हारा शबनमी

साया लिपट कर लेता है आलिंगन

 

अधरों पर अधरों के स्पर्श से उभरी मौन को

चिरती एक सिसकी निकल कर बैठ गई दो

उर की दहलीज़ पर

धड़कन से एक शोर बहने लगा मंद समीर संग

खेलता

 

एक आवारा बादल छा गया चाँद के वजूद

पर बनकर चद्दर चाहत की


शबनमी गीली रात में बहती साँसों की संदली

महक ने चाँद को भी प्रणय रंग में बहा दिया


आज बेहद खूबसूरत लग रही है रात 

चाँद, तुम और मैं तीनों चल रहे है संग-संग

लो तारें शर्माते छुप गए आसमान के आँचल तले।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance