हम तो दिल से हारे
हम तो दिल से हारे
मोहब्बत में दिल हार जाओगे एक दिन, कहते थे सारे,
फिर दिल की गली से ही होकर गुज़रेंगे, ख़्वाब तुम्हारे।
बड़ा हठी था यह दिल भी, जीतने की बस इसे आदत,
सच ही कहा था कोई भाया ऐसा, हम तो दिल से हारे।
कब हार बैठे हम दिल अपना, दिल को हुई ना ख़बर,
सुना था ढाई अक्षर मोहब्बत के आज लगने लगे प्यारे।
खुद को बना दिया पाषाण, दूर भागते थे मोहब्बत से,
आज किसी की याद में, हम गिनते नहीं थकते हैं तारे।
प्यारा था अकेला सफ़र हमें, साथ न किसी का भाया,
आज हमसफ़र के इंतजार में, रुक गए हैं कदम हमारे।
ज़िंदगी इतनी खूबसूरत भी होती है, कहाँ जानते हम,
दिल में हुई जो दस्तक, तो रंगीन लगने लगे हैं नज़ारे।
कट रही थी यूँ ही ज़िंदगी, जीने का मकसद था कहाँ,
मोहब्बत जो आई ज़िंदगी में, तो मिले जीने के सहारे।
कभी ठहरे नहीं किसी के लिए, ना कोई आवाज़ दी,
आज दिल का ये हाल, कि बस दिल उसी को पुकारे।