Praveen Gola

Romance

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Praveen Gola

Romance

हम इश्क नहीं कहते

हम इश्क नहीं कहते

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कुछ सीखने की कला को ...हम इश्क नहीं कहते,

तुमसे ये दिल उलझ गया, तो क्या गुनाह हुआ ?

तेरे इश्क सिखाने की कला को, हम दिल ही दिल में सहते।

तेरा वो भोलेपन से समझाना, हमें खामोश कर गया,

और उस पे दिल को धड़काना, बड़ा मदहोश कर गया,

तेरी मदहोशी भरी बातों को, हम तेरे संग थे फिर कहते।

कुछ सीखने की कला को ...हम इश्क नहीं कहते।


हर रात तेरे आने पर, ये दिल झूमता गया,

तेरी मिश्री भरी बातों से, तुझे चूमता गया,

लाख संभलते - संभलते भी, हम गिरते से थे रहते।

याद आती है अब वो रात, जब बहे थे तेरे साथ ,

तब ना याद था कोई दिन, और ना याद थी कोई रात,

उन संग गुजारे पलों के बाद भी, हम तुम्हें अपना ना कहते।

कुछ सीखने की कला को ...हम इश्क नहीं कहते।।



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