हम हैं गऊ भी , बब्बर शेर भी और जाम्बवन्त के भक्त
हम हैं गऊ भी , बब्बर शेर भी और जाम्बवन्त के भक्त
तुम आये हो शिकारी भेड़ियों के झुंड की भांति ,
हमें केवल गऊ समझके
न छोडो गे पीछा तुम हमारा , जो खींचे कदम हमने पीछे
न थको गे तुम एक शिकारी भेड़ियों के झुंड की तरह , हमारे शिकार की निरंतर सोच रखना
पीछे लगे रहो गे तुम हमारे , हमें केवल गऊ समझके
आगे फिर बार बार बढे चलोगे तुम हमारी ओर जो खींचे कदम एक भी पीछे हमने
न बैठगे तुम चैन से , जब तक पी न लोगे तुम हमारे रक्त की बूँद , हमें केवल गऊ समझके
जो ना जानो तुम एक बात , की हम हैं बब्बर शेर भी
रहते हैं हम भी समूह में , शिकार करते हैं हम भी समूह में
जो ठान लीआ हमने तुम्हें अपना शिकार बनाना ,
तो पड़ जायेंगे तुम्हारे पीछे हम भी हाथ धो के
ना छोडै गे तुम्हें , जब तक पहुंचा ना देंगे तुम्हें तुम्हारी दीवार के पीछे
ना डरें हम किसी भेड़ियों के झुंड से
भारी पड जायेंगे तुमपे , जो कर दी तुमपे चढ़ाई
अब हम भी हैं तैयार तुम्हारा शिकार करने
बब्बर शेर का समूह , अब हो गया है विराट , छोड कर अपना बचपना पीछे
बन गये हैं अब हम भी शिकारी , भेड़ियों का शिकार करने के लिए
जो ना जानो तुम , की हम हैं अजर _ अमर जाम्बवन्त के भक्त भी
बलशाली हैं , पर है ह्रदय विनर्म
ना भूल करना हमारे ह्रदय पे वार करने की
ललकारो गे तुम हमारे रोम में बसे जाम्बवन्त के बल को
उखार फेंकेंगे तुम्हें , तुम्हारे वृद्ध होते हुए पैरों को
जो टिक गए हम तुम्हारे अनुमान से ज्यादा अखाड़ें में
ना जोश है वो तुममें , ना वो होश है वो तुममें
केवल अपने झुंड के हो तुम खरगोश
अब जो ठान लिआ है हमने की करेंगे हर वार का पलट वार
तुममें बना देंगे सिरफ कलाकार , बार बार
वो ना मानेगे बातों से , जो आए हैं वो मन बना के हमें खाने टुकड़े टुकड़े कर के
तो बना लिआ है हमने भी अपना मन की ले लेंगे अपना हर अंग वापस धीरे धीरे टुकड़ा भर टुकड़ा , उनकी ही चाल सीख के , उन्ही के बनाये मार्गों पर चल के
और , और भी आगे बढ़ के , धीरे धीरे समय के साथ , करेंगे धर्म स्थल को स्वतंत्र , उखाड़ के उनके अधर्मी कदमो को
इतिहास कभी स्थिर नहीं रहता , कोई आएगा , समय के काल चक्र में , इतिहास को बनाने के लिए , एक नई दिशा देखना के लिए
अब समय आ गया है की अपने ही बल को , अपने ही समर्थ से बढाने का
अब ना माने हम उनकी कोई कुटिल बात
बढ़ेंगे हम अपना समर्थ जाम्बवन्त के बल से प्रेरणा लेकर
करना होगा अब कुछ अलग नए मार्गों को अपनाके
नई सोच पर मंथन कर के
चल पड़ना है आगे अब जाम्बवन्त के बल से प्रेरणा लेकर ,
बदल देंगे नक्शा अब धीमें धीमें समय के साथ , धर्म स्थल को स्वतंत्र कर के उन्ही के नक़्शे कदमों पर चल के
तुम भी शिकारी , हम भी शिकारी
जो ना जानो तुम , की हम हैं पंचमुखी के भक्त
हम शांत , अहिंसक , कोमल , बलशाली और विराट , भी
हम हैं गऊ भी , बब्बर शेर भी और जाम्बवन्त के भक्त भी