हक
हक
शोषण, अन्याय, अत्याचार
जनता सहती है कई बार
शासक समझ लेता है जीत है उसकी
पर यही सबसे बड़ी भूल है उसकी
हद से पानी जब ऊपर बहता है
मर्यादा के किनारों को तोड़ देता है
बड़े-बड़े आसन डोल जाते हैं तब
जनता बगावत पर उतर जाती है जब।
शोषण, अन्याय, अत्याचार
जनता सहती है कई बार
शासक समझ लेता है जीत है उसकी
पर यही सबसे बड़ी भूल है उसकी
हद से पानी जब ऊपर बहता है
मर्यादा के किनारों को तोड़ देता है
बड़े-बड़े आसन डोल जाते हैं तब
जनता बगावत पर उतर जाती है जब।