हिन्दी
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हम हिन्दी भाषा भी हिन्दी,
हिन्द देश के हम बासी ।
अपनी भाषा परम मनोहर,
वर्ण शब्द है सुखरासी ।।
मन के भावों को प्रगटाती,
जीवन से तम दूर भगाती ।
सहज मनोहर रसमय बन,
अपनों में अपनत्व बढ़ाती ॥
संस्कृत की पुत्री है हिंदी,
व्यापक रूप निराला ।
जैसा कहो लिखो वैसा ही,
भेद ना कुछ होने बाला ।।
मां के जैसी हिन्दी भाषा,
हमको है अति प्यारी ।
मां बोला जिस भाषा में,
थी वह भी हिन्दी प्यारी ।।
सबसे बढ़कर अपनेपन का,
भाव सदा ही है हर्षाता ।
अपनी भाषा हो उन्नत जब,
तभी सफल हो हर नाता ।।