हिंदी
हिंदी
संस्कृत की वंशज,
संस्कारों से पोषित है।
गरिमामय शब्दों के
मोतियों से सुशोभित है।
मातृत्व भाव लिए।
गुरु बन जाती है।
सखा भाव से
घुलमिल जाती है।
हिंदी है, हिंद से
गरिमा पाती है।
हिंद को मिला हिंदी का ताज है।
हमें अपनी तकदीर पर नाज है।
दिन ढले या चढ़े।
हिंदी बस आगे बढ़ चले।
जुगनुओं का होना ही काफी है।
इरादे सँवरने के लिए।
सूरज तो बनना ही है।
किस्मत बुलंद करने के लिए।
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हिंदी में बचपन तुतलाता।
परिपक्व बन मुस्काता।
मां की ममता इसमें खिलती।
पिता की सीख है निखरती।
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विजय संदेश जब हिंदी में गूंजा।
सिपाही का हुआ चौड़ा सीना।
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हिंद को हिंदी का वरदान है।
हिंदी जीवनगान है।
हमारी आन बान शान है।
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एक ही नहीं ।
एक-एक से होगा।
हिंदी बनेगी राष्ट्रभाषा।
यह निश्चित होगा।
राष्ट्र मेरा गौरवान्वित होगा।
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