हिन्दी कविता- तुम्हारे दिल मे
हिन्दी कविता- तुम्हारे दिल मे


ढूंढते उसे कहा कहा तुम
जो तुम्हारे दिल मे रहती है ।
मृगमरीचिका जैसे
बन बन भटकते हो
नाम है जिसका खुशी
जो तुम्हारे दिल में रहती है ।
देख गैरो मुस्कुराना
थोड़ा तुम भी मुस्कुरा लो ।
रोते बच्चे को तुम हँसा लो ।
भूखे प्यासे की भूखा मिटा दो ।
बहते आँसुओ को रोक लो ।
कराहते दर्द की दवा बन जाओ ।
आसपास जो है तुम्हारे
संग हँस लो और हँसाओ ।
मानवता यही कहती है
जो तुम्हारे दिल में रहती है ।
अंधे की लाठी बन देखो
बच्चे अनाथ माँ जी बन देखो
जख्म गहरे मरहम बन देखो
जुल्म बुराई बेरहम बन देखो
खुशी हर जगह मिलती है
जो तुम्हारे दिल मे रहती है ।
ढा रही प्र्कृती बाढ़ तूफान बड़े
प्र्चंड गर्मी नरमी अकाल
बड़े कभी पेड़ लगाओ
थोड़ा पानी बचाओ छोड़
प्लास्टिक थैला अपनाओ ।
बात भारती मन को जँचती है
जो तुम्हारे दिल में रहती है ।