" हिना "
" हिना "
है हथेली पर हिना जो, प्यार की पहचान है !
लाज नज़रों में बसी गर, अधर पर मुस्कान है !!
याद को कैसे भुलाएं, जो तुम्हारे नाम है !
आज बेगाने हुए पल, टूटता अभिमान है !!
देख दर्पण सज रहा तन, है हिरण सा डोलता !
है ठिठोली कर रहा जो, मन बड़ा नादान है !!
है कहानी कह रही अब, रोज ही पाजेब भी !
आस जागी है मिलन की, ठग रहे दिनमान है !!
रंग फीका पड़ न जाये, है हथेली कह रही !
आस पलकों पर चढ़ी है, पा गयी जो मान है !!
ख्वाब कब अपने हुए हैं, नयन खोलें टूटते !
साथ में यादें रहीं जो, लग रही अनजान हैं !!
चाह गर होगी प्रबल तो, जीत लेंगें जंग भी !
बिरज राहें कर रही यह, शरतिया ऐलान है !!