Suresh Koundal

Abstract

4.7  

Suresh Koundal

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हिमाचल का नज़ारा

हिमाचल का नज़ारा

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मेरे हिमाचल का नज़ारा, बड़ा मनमोहक बड़ा प्यारा ।

पहाड़ों की ठंडक , झरनों की कल कल ,

ये फूलों की खशबू , जहां से है न्यारा ,

मेरे हिमाचल का नज़ारा, बड़ा मनमोहक बड़ा प्यारा ।


देवालयों की धरती, ऋषिमुनियों की तपोभूमि ,

सजग हिमालय ताज देश का , ये बलिदानी वीरों की भूमि ,

हरे भरे चीड़ देवदार जहां पर ,

फल फूलों के भण्डार जहां पर,

महक ताज़गी से भर देती, खुशियों का अम्बार जहां पर,

लगता जैसे स्वर्ग का दवारा ।

मेरे हिमाचल का नज़ारा, बड़ा मनमोहक बड़ा प्यारा ।।


सीधे साधे लोग जहां पर ,

मीठे सबके बोल जहां पर,

वैर विरोध कभी न रखते ,

अतिथि देवो भवः का अर्थ समझते ।

मेहनत का है मोल जहां पर ।

परिश्रम , धैर्य , दृढ़ता ने जिनकी ,

पहाड़ों का भविष्य सँवारा ।

मेरे हिमाचल का नज़ारा, बड़ा मनमोहक बड़ा प्यारा ।


आओ कभी मेरे हिमाचल , लगेगा ये जैसे मां का हो आँचल ,

बर्फ की गोदी , सतलुज की धारा , लगती हर पल मौज बहारा।

मेरे हिमाचल का नज़ारा, बड़ा मनमोहक बड़ा प्यारा ।


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