हार, जीत और सीख
हार, जीत और सीख


हर हार से मिलती है सीख,
सिख से मिलती है जीत,
हार, जीत और सीख का,
है आपस में मेल मिलाप,
बिन हरे मजा नही जीत का,
बिन हरे मिलती नही सिख भी,
जीवन में जो हारा नही है,
ऐसा कोई धुरंधर नही है,
इंसान कभी खुद से हारता है,
तो जिंदगी के सबक सिखता है,
दूसरो से हारता है तो आगे बढ़ने
की ललक बढ़ती है,और सीखता है,
सीखने के बाद ही उसके
अंदर जागती है जितने की आग,
और जब वह जीतता है,
तब उसे जीतने की मिलती है,
खुशियां अपार।