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Sitaram Budhibaman Behera

Tragedy

3  

Sitaram Budhibaman Behera

Tragedy

हादसा

हादसा

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हादसे कितने होते रहेंगे 

इसी की उम्मीद तो थी 

मगर इस कदर 

यह किसको

पता था !


दुःखो के कहर टूटेगा 

इसी का अंदाजा तो था 

मगर इसी कदर 

यह किसको

पता था !


सपने आए जाए अनगिनित 

अरमान सीने में उमड़े अनगिनित 

सायद इन्ही में  

से कुछ  पुरे हो जाते, 

मगर बिखरेंगे 

इस कदर 

यह किसको पता था !


लहरें उठते थे दिल में 

आरजुओं के हजारों 

पँख फड़ फड़ा रहे थे 

सिने में

तमन्नाएं हजारों 

सायद इन्ही में से कुछ 

पूरा हो जाते, 

मगर, मिट जाएंगे 

इस कदर 

यह किसको पता था !


मौत के आहट 

कब से सुनाई दे रहा था 

उसी ठंडी ठंडी बाहें 

मेरे और बढ़ रहा था 

जीने को कुछ और समय 

मिल जाते थे सायद 

मगर गिरफ्त में 

आएंगे उसी की इस कदर 

यह किसको पता था !


खैर आना जाना 

हसना रोना 

इस तरह 

लगा रहेगा 

हार जीत के

फैसले कितने 

होते रहेगा 

मगर

थोड़ी ही समय में 

इस जहाँ से 

रुख़सत होना 

यह किसको पता था !


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