गऊवंश का जीवन
गऊवंश का जीवन
गऊवंश का जीवन,
असुरक्षित और भयावह,
खेतों में आरीदार तार,
ग्राम सभाओं में नहीं चारागाह,
दबंग पूंजीपतियों का कब्जा,
गऊशालाओं के नाम पर जेल,
गऊ योजनाओं के नाम पर खेल,
अक्सर हाईवे किनारे बसेरा,
गऊवंशों का सोता समूह होता अंधेरा,
आते जाते वाहनों से गऊवंश टकराते,
वाहन सहित खुद दुर्घटना ग्रस्त हो जाते,
कभी कभी रंज से भरा वाहन चालक,
जानबूझ गाड़ी गऊवंशों पर चढ़ा जाते,
दर्दनाक हादसे अक्सर गऊवंशों के होते,
आवाज उठती दफन हालात फिर हो जाते।
जिस देश में दूध की नदियां बहती थी,
गऊवंश की सेवा से पीढ़ियाँ बनती थी,
वहां आज शराब भट्ठियाँ चलती बनती,
कहां अब नदियां दूध की औषधि होती।
आवाज और आंदोलन अब किसके लिये है,
जो कुछ भी होता क्रांत सब अपने लिये है।