गुरुदेव
गुरुदेव
तुम मेरी पहली और आखिरी आशा हो,
केवल तुम और तुम ही मेरी परिभाषा हो।
मेरे जीवन की तुम अभिव्यक्ति हो,
केवल तुम और तुम मेरी शक्ति हो।
हे गुरुवर! केवल तुम ही तो मेरी प्रेरणा हो,
भावों में जो पिर गयी, बस वो संवेदना हो।
मेरे व्यक्तित्व का तुम आधार हो,
बस केवल तुम ही तो, इस जीवन का सार हो,
चला देते हो तूफानों में, तुम आशाओं के हथियार से,
निकाल लाते हो हम सबको, निराशाओं के मझधार से।
कितने भाव उमड़ते तुम पर
पर शब्द ही अल्प हो जाते हैं,
गढ़ गढ़ तुम हमें बनाते,
निखर हम जाते हैं।
केवल तुम ही आधार हमारे,
तुम ही तो जीवन अभिलाषा है,
पथ दिखाते हर पल हमें,
तुम ही पहली और आखिरी आशा हो।।