गुरु दर्शन
गुरु दर्शन
मैं दौड़ी दौड़ी आई
गुरु जी आपके द्वार
मैं तो हो गई निहाल
गुरूजी थारे दर्शन से।
आपके दर्शन की
आशा लिए
मन में कुछ अभिलाषा लिए
पहुंच गए आपके द्वार।
गुरू जी आपके दर्शन को।।
बिगड़ी भी बनाते हो
पार भी लगाते हो
सुनते हो भक्तों की पुकार
हम पहुंच गए आपके द्वार।
कैसे गुरु जी मैं आपको
अपना हृदय दिखाऊं
कैसे मैं फूलों का हार पहनाहूं
किस विधि करूं श्रंगार
हम पहुंच गए आपके द्वार।
आप मिले मेरे दुख दर्द कटे
आंखों से बह रही अश्रुधार
दर्शन कर हो गई निहाल
हम पहुंच गए आपके द्वार।
भगवान से बड़ा आपका द्वार
धरती पर आपने लिया अवतार
भक्तों को कर दिया निहाल
हम पहुंच गए आपके द्वार।
इस जग में मुझे रहना सिखाया
गले लगाकर पास बिठाया
मुझे दे दिया प्यारा अमृत ज्ञान
हम पहुंच गए आपके द्वार।
महिमा तुम्हारी वर्णन में नहीं आई
सब लोकों से न्यारा तुम्हारा नाम
मेरा ध्यान रहे आपके चरणों में
हम पहुंच गए आपके द्वार।